'सेठ' उपाधि सिर्फ माहेश्वरीयों के लिए प्रयुक्त होती है,
जैसे सरदार सिर्फ सिखों के लिए प्रयुक्त होनेवाली उपाधि है।
यह 100% सत्य बात है, क्योंकी माहेश्वरी उत्पत्ति (वंशोत्पत्ति) के समय भगवान महेशजी ने ऋषियों के श्राप से पत्थरवत बने हुए 72 उमरावों को शापमुक्त करके नवजीवन देकर "माहेश्वरी" यह नया नाम देते हुए कहा था की आप जगत में "श्रेष्ठ" कहलाओगे... आगे चलकर इसी श्रेष्ठ शब्द का अपभ्रंश होकर "सेठ" कहा जाने लगा। अर्थात माहेश्वरीयों को "सेठ" गरीबी-अमीरी के आधारपर नहीं बल्कि माहेश्वरी उत्पत्ति के समय भगवान महेशजी द्वारा दिए वरदान के कारन कहा जाता है, श्रेष्ठ होने के कारन कहा जाता है।
हम माहेश्वरीयों को लोग सेठ अथवा सेठ सा क्यों बोलते है... क्योंकि वो हमारी इज़्ज़त करते है, हमारे माहेश्वरी वंश के वारिस होने की इज़्ज़त करते है। तो हम माहेश्वरीयों का भी दायित्व है की हमें लोगों द्वारा दी जानेवाली इज्जत और सम्मान को हम बरकरार रखें। हम अपना आचरण, रहन-सहन, वाणी, व्यवहार, विचार एवं खानपान ठीक वैसा ही रखें जिसके कारन लोग हम माहेश्वरीयों की इज्जत करते है, हम माहेश्वरीयों को "सेठ" बोलते है।
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ReplyDeleteजय महेश
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