| साभार- पाक्षिक पत्रिका 'माहेश्वरी एकता', महेश नवमी - 2019 विशेषांक |
प्रसिद्धि से, मान-सम्मान से दूर रहकर कार्य करते हुए योगी प्रेमसुखानन्द माहेश्वरी लगातार माहेश्वरी समाज के सामाजिक, सांस्कृतिक, संगठनात्मक पुनरुत्थान के कार्य में लगे हुए है। योगी प्रेमसुखानन्दजी के इस एक तप के कार्य का संज्ञान लेने पर पाक्षिक समाचार पत्रिका "माहेश्वरी एकता" और उनके संपादक मंडल को अनेकानेक साधुवाद ! मनःपूर्वक आभार !!!
– एस. बी. लोहिया (ट्रस्टी व प्रवक्ता, माहेश्वरी अखाड़ा)
माहेश्वरी - उत्पत्ति एवं संक्षिप्त इतिहास नामक यह पुस्तक कई माहेश्वरीयों की आंखें खोलने वाली पुस्तक (Book) है, फिर वो माहेश्वरी भारत में रहनेवाले हों या विदेशों में। यह पुस्तक माहेश्वरी इतिहास, दर्शन और संस्कृति का एक व्यापक दृष्टिकोण प्रदान करती है, जैसा कि माहेश्वरी समुदाय (माहेश्वरी समाज) और माहेश्वरी संस्कृति की रक्षा के लिए लड़ने वाले एक माहेश्वरी की नजर से देखा गया है। इस पुस्तक को व्यापक रूप से माहेश्वरी इतिहास पर बेहतरीन आधुनिक कार्यों में से एक माना जाता है। "माहेश्वरी - उत्पत्ति एवं संक्षिप्त इतिहास" पुस्तक "दिव्यशक्ति योगपीठ अखाड़ा (जो माहेश्वरी अखाड़ा के नाम से प्रसिद्ध है)" के पीठाधिपति एवं महेशाचार्य योगी प्रेमसुखानन्द माहेश्वरी द्वारा लिखी गई है।
हरएक माहेश्वरी को इस बारे में जानकारी होनी ही चाहिए की अपने समाज की उत्पत्ति कब हुई? कैसे हुई? किसने की? क्यों की? अपने समाज का इतिहास क्या है? इसकी जानकारी होगी तभी तो वह जान पायेगा की वह कितने गौरवशाली तथा सम्मानित समाज का अंग है, उसके समाज का इतिहास कितना गौरवपूर्ण और वैभवशाली है। इसे जानने के लिए योगी प्रेमसुखानन्द माहेश्वरी द्वारा लिखित यह पुस्तक "माहेश्वरी - उत्पत्ति एवं संक्षिप्त इतिहास" आपकी बहुत मदत करती है। प्रेमसुखानंद माहेश्वरी द्वारा लिखित पुस्तक, "माहेश्वरी - उत्पत्ति एवं संक्षिप्त इतिहास" महेश नवमी - 2014 पर प्रकाशित हुई है। इस पुस्तक को पढ़कर आपको जरूर आनंद, ख़ुशी और गर्व की अनुभूति होगी।
"माहेश्वरी - उत्पत्ति एवं संक्षिप्त इतिहास" पुस्तक के कुछ मुख्य अंशों को पढ़ने के लिए इस Link पर click / touch कीजिये > The Book, Maheshwari - Origin And Brief History | Author - Yogi Premsukhanand Maheshwari | माहेश्वरी - उत्पत्ति और संक्षिप्त इतिहास, योगी प्रेमसुखानन्द माहेश्वरी द्वारा लिखित पुस्तक
योगी प्रेमसुखानन्द माहेश्वरी (पीठाधिपति, माहेश्वरी अखाड़ा) माहेश्वरी समाज के इतिहास के शोधकर्ता, लेखक एवं इतिहासकार हैं। महेशाचार्य योगी प्रेमसुखानन्द माहेश्वरी महाराज माहेश्वरी समाज के सबसे प्रसिद्ध इतिहासकारों, शोधकर्ताओं और लेखकों में से एक हैं। उन्हें माहेश्वरी समाज की उत्पत्ति और प्राचीन माहेश्वरी इतिहास पर शोध में उनके उत्कृष्ट योगदान के लिए जाना जाता है। प्रेमसुखानन्द माहेश्वरी ना केवल माहेश्वरी समाज के इतिहास के एक शोधकर्ता, लेखक और इतिहासकार हैं; बल्कि माहेश्वरी अखाड़े के पीठाधिपति और महेशाचार्य के रूप में माहेश्वरी समाज और माहेश्वरी संस्कृति के "संरक्षक" के रूप में भी जाने जाते हैं।
महेशाचार्य योगी प्रेमसुखानन्द माहेश्वरी ने भारतभर में लगभग 150 योग एवं स्वास्थ्य शिबिरों का सफलतापूर्वक सञ्चालन किया है। उन्होंने छात्रों / विद्यार्थियों की बुद्धिमत्ता को और अधिक निखारने में योग की भूमिका पर एक दिवसीय (देढ़ घंटा) के कई सेमिनार लिए है, जिससे छात्रों को खुदको तनावमुक्त रख सकने में भी लाभ मिला है।
प्रेमसुखानन्द माहेश्वरी महाराज के सभी गतिविधियों का मुख्य उद्देश्य भारत के विभिन्न क्षेत्रों में बसनेवाले माहेश्वरी समाजजनों को एकता के सूत्र में बांधकर माहेश्वरी समाज के मूल सिद्धांत "सर्वे भवन्तु सुखिनः" को सार्थ करते हुए समाज को गौरव के सर्वोच्च शिखर पर पुनःस्थापित करना है। प्रेमसुखानन्द माहेश्वरी, माहेश्वरी संस्कृति के संरक्षण-संवर्धन, स्वास्थ्य, तनावमुक्त जीवन आदि विषयोंपर व्याख्यान देनेका कार्य कर रहे हैं। योगी प्रेमसुखानन्दजी लगातार सनातन धर्म और माहेश्वरी संस्कृति के प्रचार-प्रसार तथा माहेश्वरी समाज के पुनरुत्थान के लिए कार्य कर रहे हैं।