देव, दनुज, ऋषि, महर्षि, योगीन्द्र, मुनीन्द्र, सिद्ध, गन्धर्व सब महेश्वर को गा कर प्रसन्न करते है. महेशाष्टक, महेश चालीसा, महेश मानस स्तोत्र जैसे स्तोत्रों का पाठ करने से अद्भुत कृपा प्राप्त होती है. महेशाष्टकम् सर्वश्रेष्ठ एवं कर्णप्रिय स्तुतियों में से एक है. महेशाष्टक यह माहेश्वरी अखाडा (दिव्यशक्ति योगपीठ अखाडा) के पीठाधिपति महेशाचार्य श्री प्रेमसुखानन्द माहेश्वरी महाराज द्वारा रचित भाव प्रस्तुति है. इस महेशाष्टक को घर में या मंदिर में महेश-पार्वती/महेश परिवार के समीप श्रृद्धा सहित पाठ करने से मन को सुख मिलता है, भगवान महेश-पार्वती और गणेशजी की कृपा प्राप्त होती है.
महेशाष्टक (महेश वंदना)
महेशं अनन्तं शिव महादेवम् करुणावतारं गिरिजावल्लभम् ।
देवाधिदेवं भक्तप्रतिपालकम् गजाननतातं उमानाथं नमो ।। १ ।।
योगीयोगेश्वरं महाकालकालम् अर्धनारीश्वरं गणाधिनायकम् ।
हर सत्यं शिवं सुंदरं मधुरम् गजाननतातं उमानाथं नमो ।। २ ।।
सगुणं साकारं निर्गुण निराकारम् गुणातीतरूपं तपोयोगगम्यम् ।
शाश्वतं सर्वज्ञं श्रुतिज्ञानगम्यम् गजाननतातं उमानाथं नमो ।। ३ ।।
दाता भोलेनाथं त्राता वैद्यनाथम् महामृत्युंजयं नटराज नृत्यम् ।
आदिगुरु ज्ञानं त्वं जगतगुरुम् गजाननतातं उमानाथं नमो ।। ४ ।।
अनादि अनन्तं ओंकारस्वरूपम् जगन्नाथनाथं ब्रम्हांडनायकम् ।
सोम साधूसिद्धाःस्वांतस्थमीश्वरम् गजाननतातं उमानाथं नमो ।। ५ ।।
रुद्रं वीरभद्रं भुजंगभूषणम् कर्पूरगौरं जटाजूटधारणम् ।
पार्वतीप्रियं सुरासुरपूजितम् गजाननतातं उमानाथं नमो ।। ६ ।।
गवेन्द्राधिरूढं कराभ्यां त्रिशुलम् साधुनां रक्षितं दुष्टाय मर्दितम् ।
परिवारसमेतं कैलासवसन्तम् गजाननतातं उमानाथं नमो ।। ७ ।।
नमो पञ्चवक्त्रं भवानीकलत्रम् सहस्त्रलोचनं महापापनाशम् ।
नमामि नमामि भवानीसहितम् गजाननतातं उमानाथं नमो ।। ८ ।।
महेशस्याष्टकं य: पठेदिष्टदं प्रेमत: प्रत्यहं पूरुष: सस्पृहम् l
वृत्तत: सुन्दरं कर्तृमहेश्वरं तस्य वश्यो हरर्जायते सत्वरम् ।।
॥ इति श्रीमहेशाचार्यप्रेमसुखानन्दविरचितं श्रीमहेशाष्टकं संपूर्णम् ॥
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