Wish you a happy birthday Honourable Shri Narendra Modi Ji


Shri Narendra Modi ji (the Pride of India) माहेश्वरी अखाड़ा एवं समस्त माहेश्वरी समाज की ओरसे प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी को जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनाएं ! माँ भारती की सेवा करने के लिए देवाधिदेव महादेव आपको उत्तम स्वास्थ्य और दीर्घायु प्रदान करें।

Teej – Unique festival for Maheshwari Women


'तीज- माहेश्वराणियों (माहेश्वरी महिलाओं) के लिए अद्वितीय त्योहार'

माहेश्वरी समाज में "तीज" के त्यौहार को माहेश्वरीयों का सबसे बड़ा त्योंहार माना जाता है. माहेश्वरी जिस तीज को बहुत आनंद और आराध्य भाव से मनाते हैं, वह देश के विभिन्न भागों में, कजली तीज, बड़ी तीज या सातुड़ी़ तीज के नाम से जानी जाती है तीज का त्यौंहार श्रावण (सावन) महीने के बाद आनेवाले भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की तृतीया को मनाया जाता है (छोटी तीज श्रावण में आती है). "तीज" माहेश्वरी संस्कृति का अभिन्न अंग है.

तीज का त्यौंहार तीज माता को प्रसन्न करने के लिये मनाया जाता है. तीज के त्यौंहार पर देवी पार्वती के अवतार तीज माता की उपासना, सुख, समृद्धि, अच्छी वर्षा और फसल आदि के लिये की जाती है. इस दिन उपवास कर भगवान महेश-पार्वती की पूजा की जाती है. निम्बड़ी (नीम वृक्ष) की पूजा की जाती है. विवाहित महिलाएं हाथों पर मेहंदी लगाती है, चुडिया, बिंदी, पायल आदि पहनकर सोलह सिंगार करती है. तीज की कहानी कही जाती है और महेश-पार्वती की आरती की जाती है. रात में चंद्र के उदय होने के बाद परिवार के सभी सदस्य एकसाथ बैठकर, हरएक सदस्य सोने के किसी गहने से (जैसे की अंगूठी) अपना-अपना पिण्डा पासता है (जैसे जन्मदिन के दिन केक काटा जाता है, ऐसी ही कुछ रीती है जिसे पिण्डा पासना कहा जाता है). तीज का त्यौंहार भारत के राजस्थान राज्य में और देश-विदेश में बसे हुए माहेश्वरीयों में बहुत ही आस्था के साथ तथा धूम धाम से मनाया जाता है.

तीज के त्यौंहार पर किसकी उपासना की जाती है और क्यों की जाती है?

तीज के त्यौहार पर देवी पार्वती के अवतार तीज माता की उपासना की जाती है. देवी पार्वती ही भाद्रपद के महीने की तृतीय तिथि की देवी के रूप में तीज माता के नाम से अवतरित हुईं थीं. भगवान महेशजी के साथ ही उनकी पत्नी को भी प्रसन्न करने के लिये पार्वतीजी के अवतार तीज माता की उपासना की जाती है.

मान्यता के अनुसार, देवी पार्वती बहुत लंबे समय के बाद अपने पति भगवान शिव (महेश) से मिलीं थीं, और इस खुशी में देवी पार्वती ने इस दिन को यह वरदान दिया कि इस दिन जो भी तृतीया तिथि की देवी तीज माता के रूप में उनकी (देवी पार्वती की) पूजा-आराधना करेगा, वे उसकी मनोकामना पूरी करेंगी.



तीज के त्यौंहार के दिन विवाहित स्त्रियां अपने पति की लंबी आयु के लिये तीज माता की पूजा करती हैं, जबकि पुरुष अच्छी "वर्षा, फसल और व्यापार" के लिये तीज माता की उपासना करते हैं. तीज का पर्व महेश-पार्वती के प्रेम के प्रतिक स्वरुप में आस्था और उल्लास के साथ मनाया जाता है.

Teej Puja - According to Maheshwari Religious Tradition






Wish you a very Happy Guru Purnima !


आदि महेशाचार्य महर्षि पराशर के चरणों में कोटि कोटि प्रणाम !

माहेश्वरी उत्पत्ति कथा के अनुसार भगवान महेशजी ने महर्षि पराशर, सारस्‍वत, ग्‍वाला, गौतम, श्रृंगी, दाधीच इन छः (6) ऋषियों को माहेश्वरीयों का गुरु बनाया और उनपर माहेश्वरीयों/माहेश्वरी समाज को धर्म के मार्ग पर चलने के लिए मार्गदर्शन करनेका दायित्व सौपा। इन्हे गुरुमहाराज के नाम से जाना जाने लगा। कालांतर में इन गुरुओं ने ऋषि भरद्वाज को भी माहेश्वरी गुरु पद प्रदान किया जिससे माहेश्वरी गुरुओं की संख्या सात (7) हो गई जिन्हे माहेश्वरीयों में सप्तर्षि कहा जाता है। सात गुरु योग के 7 अंगों का प्रतीक हैं, 8वां अंग साक्षात् भगवान महेशजी का प्रतिक मोक्ष है। गुरुमहाराज माहेश्वरी समाज का ही (एक) अंग है।


सप्तगुरुओं ने माहेश्वरी समाज के प्रबंधन-मार्गदर्शन का कार्य सुचारू रूप से चले इसलिए एक 'गुरुपीठ' को स्थापन किया था जिसे "माहेश्वरी गुरुपीठ" कहा जाता था। इस माहेश्वरी गुरुपीठ के इष्ट देव 'महेश परिवार' (भगवान महेश, पार्वती, गणेश आदि...) है। सप्तगुरुओं ने माहेश्वरी समाज के प्रतिक-चिन्ह 'मोड़' (जिसमें एक त्रिशूल और त्रिशूल के बीच के पाते में एक वृत्त तथा वृत्त के बीच ॐ (प्रणव) होता है) और ध्वज का सृजन किया। ध्वज को "दिव्य ध्वज" कहा गया। दिव्य ध्वज (केसरिया रंग के ध्वजा पर अंकित मोड़ का निशान) माहेश्वरी समाज की ध्वजा बनी। गुरुपीठ के पीठाधिपति “महेशाचार्य” की उपाधि से अलंकृत थे। महेशाचार्य- यह माहेश्वरी समाज का सर्वोच्च गुरु पद है। महर्षि पराशर माहेश्वरी गुरुपीठ के प्रथम पीठाधिपति है और इसीलिए महर्षि पराशर आदि महेशाचार्य है। अन्य ऋषियों को 'आचार्य' इस अलंकरण से जाना जाता था। गुरुपीठ माहेश्वरीयों/माहेश्वरी समाज का सर्वोच्च आध्यात्मिक केन्द्र माना जाता था। माहेश्वरीयों से सम्बन्धीत किसी भी आध्यात्मिक-सामाजिक विवाद पर गुरुपीठ द्वारा लिया/किया गया निर्णय अंतिम माना जाता था।

आदि महेशाचार्य महर्षि पराशर 


महाभारत काल में एक महान ऋषि हुए, जिन्हें महर्षि पराशर के नाम से जाना जाता हैं। महर्षि पराशर मुनि शक्ति के पुत्र तथा वसिष्ठ के पौत्र थे। ये महाभारत ग्रन्थ के रचयिता महर्षि वेदव्यास के पिता थे (पराशर के पुत्र होने के कारन कृष्ण द्वैपायन वेदव्यास को ‘पाराशर’ के नाम से भी जाना जाता है)। पराशर की परंपरा में आगे वेदव्यास के शुकदेव, शुकदेव के गौड़पादाचार्य, गौड़पादाचार्य के गोविंदपाद, गोविंदपाद के शंकराचार्य (आदि शंकराचार्य) हुए। सबके सब आदिशक्ति माँ भगवती के उपासक रहे है। महर्षि पराशर प्राचीन भारतीय ऋषि मुनि परंपरा की श्रेणी में एक महान ऋषि हैं। योग सिद्दियों के द्वारा अनेक महान शक्तियों को प्राप्त करने वाले महर्षि पराशर महान तप, साधना और भक्ति द्वारा जीवन के पथ प्रदर्शक के रुप में सामने आते हैं। इनका दिव्य जीवन अत्यंत आलोकिक एवम अद्वितीय हैं। महर्षि पराशर के वंशज पारीक कहलाए।

महर्षि पराशर ने धर्म शास्त्र, ज्योतिष, वास्तुकला, आयुर्वेद, नीतिशास्त्र विषयक ज्ञान मानव मात्र को दिया। उनके द्वारा रचित ग्रन्थ “व्रह्त्पराषर, होराशास्त्र, लघुपराशरी, व्रह्त्पराशरी, पराशर स्मृति (धर्म संहिता), पराशरोदितं, वास्तुशास्त्रम, पराशर संहिता (आयुर्वेद), पराशर नीतिशास्त्र आदि मानव मात्र के कल्याण के लिए रचित ग्रन्थ जग प्रसिद्ध हैं। महर्षि पराशर ने अनेक ग्रंथों की रचना की जिसमें से ज्योतिष के उपर लिखे गए उनके ग्रंथ बहुत ही महत्वपूर्ण रहे। कहा जाता है कि कलयुग में पराशर के समान कोई ज्योतिष शास्त्री अब तक नहीं हुए। यद्यपि महर्षि पराशर ज्योतिष ज्ञान के कारन प्रसिद्ध है लेकिन इससे भी बढ़कर उनका कार्य है की, उन्होंने धर्म की स्थापना के लिए अथक प्रयास किया।

द्वापर युग के उत्तरार्ध में (जिसे महाभारतकाल कहा जाता है) धर्म की स्थापना के लिए दो महान व्यक्तित्वों ने प्रयास किये उनमें एक है श्रीकृष्ण और दूसरे है महर्षि पराशर। श्रीकृष्ण ने शस्त्र के माध्यम से और महर्षि पराशर ने शास्त्र के माध्यम से धर्म की स्थापना के लिए प्रयास किया। तत्कालीन शास्त्रों में उल्लेख मिलते है की धर्म की स्थापना के लिए महर्षि पराशर ने अथक प्रयास किये, वे कई राजाओं से मिले, उनके इस प्रयास से कुछ लोग नाराज हुए, महर्षि पराशर पर हमले किये गए, उन्हें गम्भीर चोटें पहुंचाई गई। महर्षि पराशर द्वारा रचित "पराशर स्मृति" (धर्म संहिता), उनके धर्म स्थापना के इसी प्रयासों में से किया गया एक प्रमुख कार्य है।

पराशर स्मृति- ग्रन्थों में वेद को श्रुति और अन्य ग्रंथों को स्मृति की संज्ञा दी गई है। ग्रन्थों में स्मृतियों का भी ऐतिहासिक महत्व है। प्रमुख रूप से 18 स्मृतियां मानी गई है। मनु, विष्णु, याज्ञवल्क्य, नारद, वृहस्पति, गौतम, शंख, पराशर आदि की स्मृतियाँ प्रसिद्ध हैं जो धर्म शास्त्र के रूप में स्वीकार की जाती हैं। स्मृतियों को धर्मशास्त्र भी कहा जाता है। 12 अध्यायों में विभक्त पराशर-स्मृति के प्रणेता वेदव्यास के पिता महर्षि पराशर हैं, जिन्होंने चारों युगों की धर्मव्यवस्था को समझकर सहजसाध्य रूप धर्म की मर्यादा निर्दिष्ट (निर्देशित) की है। पराशर स्मृति में स्पष्ट रूप से कहा गया है कि यह स्मृति कृतयुग (कलियुग) के लिए प्रमाण है, गौतम लिखित त्रेता के लिए, शंखलिखित स्मृति द्वापर के लिए और पराशर स्मृति कलि (कलियुग) के लिए। महर्षि पराशर अपने एक सूत्र में कहते है की- ज्योतिष, धर्म और आयुर्वेद एक-दूसरे में पूर्णत: गुंथे हुए हैं।




Tribute to Seth Basantkumarji Birla


भारतीय उद्योग जगत के भीष्म पितामह, भारतीय स्वतंत्रता संग्राम सेनानी, माहेश्वरी समाज के प्रेरणास्त्रोत-गौरव सेठ बसंतकुमारजी बिर्ला को भावभीनी श्रद्धांजलि !

Seth means Maheshwari people. "सेठ" अर्थात माहेश्वरी


'सेठ' उपाधि सिर्फ माहेश्वरीयों के लिए प्रयुक्त होती है,
जैसे सरदार सिर्फ सिखों के लिए प्रयुक्त होनेवाली उपाधि है।

यह 100% सत्य बात है, क्योंकी माहेश्वरी उत्पत्ति (वंशोत्पत्ति) के समय भगवान महेशजी ने ऋषियों के श्राप से पत्थरवत बने हुए 72 उमरावों को शापमुक्त करके नवजीवन देकर "माहेश्वरी" यह नया नाम देते हुए कहा था की आप जगत में "श्रेष्ठ" कहलाओगे... आगे चलकर इसी श्रेष्ठ शब्द का अपभ्रंश होकर "सेठ" कहा जाने लगा। अर्थात माहेश्वरीयों को "सेठ" गरीबी-अमीरी के आधारपर नहीं बल्कि माहेश्वरी उत्पत्ति के समय भगवान महेशजी द्वारा दिए वरदान के कारन कहा जाता है, श्रेष्ठ होने के कारन कहा जाता है।

हम माहेश्वरीयों को लोग सेठ अथवा सेठ सा क्यों बोलते है... क्योंकि वो हमारी इज़्ज़त करते है, हमारे माहेश्वरी वंश के वारिस होने की इज़्ज़त करते है। तो हम माहेश्वरीयों का भी दायित्व है की हमें लोगों द्वारा दी जानेवाली इज्जत और सम्मान को हम बरकरार रखें। हम अपना आचरण, रहन-सहन, वाणी, व्यवहार, विचार एवं खानपान ठीक वैसा ही रखें जिसके कारन लोग हम माहेश्वरीयों की इज्जत करते है, हम माहेश्वरीयों को "सेठ" बोलते है।


माहेश्वरी इतिहास के आधुनिक इतिहासकार — योगी प्रेमसुखानन्द माहेश्वरी | Modern Historian Of Maheshwari History — Yogi Premsukhanand Maheshwari | Book : Maheshwari - Utpatti Evam Itihas

| साभार- पाक्षिक पत्रिका 'माहेश्वरी एकता', महेश नवमी - 2019 विशेषांक |


प्रसिद्धि से, मान-सम्मान से दूर रहकर कार्य करते हुए योगी प्रेमसुखानन्द माहेश्वरी लगातार माहेश्वरी समाज के सामाजिक, सांस्कृतिक, संगठनात्मक पुनरुत्थान के कार्य में लगे हुए है। योगी प्रेमसुखानन्दजी के इस एक तप के कार्य का संज्ञान लेने पर पाक्षिक समाचार पत्रिका "माहेश्वरी एकता" और उनके संपादक मंडल को अनेकानेक साधुवाद ! मनःपूर्वक आभार !!!

– एस. बी. लोहिया (ट्रस्टी व प्रवक्ता, माहेश्वरी अखाड़ा)

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माहेश्वरी - उत्पत्ति एवं संक्षिप्त इतिहास नामक यह पुस्तक कई माहेश्वरीयों की आंखें खोलने वाली पुस्तक (Book) है, फिर वो माहेश्वरी भारत में रहनेवाले हों या विदेशों में। यह पुस्तक माहेश्वरी इतिहास, दर्शन और संस्कृति का एक व्यापक दृष्टिकोण प्रदान करती है, जैसा कि माहेश्वरी समुदाय (माहेश्वरी समाज) और माहेश्वरी संस्कृति की रक्षा के लिए लड़ने वाले एक माहेश्वरी की नजर से देखा गया है। इस पुस्तक को व्यापक रूप से माहेश्वरी इतिहास पर बेहतरीन आधुनिक कार्यों में से एक माना जाता है। "माहेश्वरी - उत्पत्ति एवं संक्षिप्त इतिहास" पुस्तक "दिव्यशक्ति योगपीठ अखाड़ा (जो माहेश्वरी अखाड़ा के नाम से प्रसिद्ध है)" के पीठाधिपति एवं महेशाचार्य योगी प्रेमसुखानन्द माहेश्वरी द्वारा लिखी गई है।

हरएक माहेश्वरी को इस बारे में जानकारी होनी ही चाहिए की अपने समाज की उत्पत्ति कब हुई? कैसे हुई? किसने की? क्यों की? अपने समाज का इतिहास क्या है? इसकी जानकारी होगी तभी तो वह जान पायेगा की वह कितने गौरवशाली तथा सम्मानित समाज का अंग है, उसके समाज का इतिहास कितना गौरवपूर्ण और वैभवशाली है। इसे जानने के लिए योगी प्रेमसुखानन्द माहेश्वरी द्वारा लिखित यह पुस्तक "माहेश्वरी - उत्पत्ति एवं संक्षिप्त इतिहास" आपकी बहुत मदत करती है। प्रेमसुखानंद माहेश्वरी द्वारा लिखित पुस्तक, "माहेश्वरी - उत्पत्ति एवं संक्षिप्त इतिहास" महेश नवमी - 2014 पर प्रकाशित हुई है। इस पुस्तक को पढ़कर आपको जरूर आनंद, ख़ुशी और गर्व की अनुभूति होगी।

"माहेश्वरी - उत्पत्ति एवं संक्षिप्त इतिहास" पुस्तक के कुछ मुख्य अंशों को पढ़ने के लिए इस Link पर click / touch कीजिये > The Book, Maheshwari - Origin And Brief History | Author - Yogi Premsukhanand Maheshwari | माहेश्वरी - उत्पत्ति और संक्षिप्त इतिहास, योगी प्रेमसुखानन्द माहेश्वरी द्वारा लिखित पुस्तक

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योगी प्रेमसुखानन्द माहेश्वरी (पीठाधिपति, माहेश्वरी अखाड़ा) माहेश्वरी समाज के इतिहास के शोधकर्ता, लेखक एवं इतिहासकार हैं। महेशाचार्य योगी प्रेमसुखानन्द माहेश्वरी महाराज माहेश्वरी समाज के सबसे प्रसिद्ध इतिहासकारों, शोधकर्ताओं और लेखकों में से एक हैं। उन्हें माहेश्वरी समाज की उत्पत्ति और प्राचीन माहेश्वरी इतिहास पर शोध में उनके उत्कृष्ट योगदान के लिए जाना जाता है। प्रेमसुखानन्द माहेश्वरी ना केवल माहेश्वरी समाज के इतिहास के एक शोधकर्ता, लेखक और इतिहासकार हैं; बल्कि माहेश्वरी अखाड़े के पीठाधिपति और महेशाचार्य के रूप में माहेश्वरी समाज और माहेश्वरी संस्कृति के "संरक्षक" के रूप में भी जाने जाते हैं।


महेशाचार्य योगी प्रेमसुखानन्द माहेश्वरी ने भारतभर में लगभग 150 योग एवं स्वास्थ्य शिबिरों का सफलतापूर्वक सञ्चालन किया है। उन्होंने छात्रों / विद्यार्थियों की बुद्धिमत्ता को और अधिक निखारने में योग की भूमिका पर एक दिवसीय (देढ़ घंटा) के कई सेमिनार लिए है, जिससे छात्रों को खुदको तनावमुक्त रख सकने में भी लाभ मिला है।

प्रेमसुखानन्द माहेश्वरी महाराज के सभी गतिविधियों का मुख्य उद्देश्य भारत के विभिन्न क्षेत्रों में बसनेवाले माहेश्वरी समाजजनों को एकता के सूत्र में बांधकर माहेश्वरी समाज के मूल सिद्धांत "सर्वे भवन्तु सुखिनः" को सार्थ करते हुए समाज को गौरव के सर्वोच्च शिखर पर पुनःस्थापित करना है। प्रेमसुखानन्द माहेश्वरी, माहेश्वरी संस्कृति के संरक्षण-संवर्धन, स्वास्थ्य, तनावमुक्त जीवन आदि विषयोंपर व्याख्यान देनेका कार्य कर रहे हैं। योगी प्रेमसुखानन्दजी लगातार सनातन धर्म और माहेश्वरी संस्कृति के प्रचार-प्रसार तथा माहेश्वरी समाज के पुनरुत्थान के लिए कार्य कर रहे हैं।

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See This link > Category : Maheshwari

See this link also > Maheshwari identity on Google

Happy International Yoga Day to all. Jay Mahesh !


समस्त मानव समाज को 'जागतिक योग दिवस' की शुभकामनाएं
– योगी प्रेमसुखानन्द माहेश्वरी


Regular exercise and a healthy diet help build a strong immune system. So, make conscious eating and fitness a lifestyle choice and follow it strictly.


सोना और चांदी के टुकड़े नहीं बल्कि असली धन है स्वास्थ्य-निरोगिता। इसलिए अपने शरीर को स्वस्थ-निरोगी रखें। मत भूलें की आप जहाँ रहते है वो एकमात्र जगह है- "आपका शरीर"। बादमें तो... झोपड़ी हो या महल, उसमें आपका शरीर रहता है; आप नहीं ! नियमित योग करें... स्वस्थ रहे, मस्त रहे। योग ही वह एकमात्र परिपूर्ण तरीका है जिससे परिपूर्ण स्वास्थ्य प्राप्त होता है – योगी प्रेमसुखानन्द माहेश्वरी


I would like to see every one happy, healthy and prosperious
– Yogi Premsukhanand Maheshwari

मैं हर एक को खुश, स्वस्थ और समृद्ध देखना चाहूंगा – योगी प्रेमसुखानन्द माहेश्वरी



Om Birla was elected the President of the 17th Lok Sabha of India, Congratulations !


राजस्थान के कोटा संसदीय क्षेत्र से सांसद श्री ओम बिर्ला जी को 17 वी लोकसभा का अध्यक्ष बनाया गया हैं। इससे हमारा माहेश्वरी समाज और हम सभी समाजजन गौरवान्वित हुए है। श्रीमान ओमजी बिरला को बहुत बहुत बधाई एवं अनेकानेक शुभकामनाएं ! हमें विश्वास है की आप अपनी क्षमता का सर्वोत्कृष्ट योगदान देते हुए अपनी इस जिम्मेदारी का निर्वहन करके देश और अपने माहेश्वरी समाज को गौरवान्वित करेंगे। श्री ओम बिर्ला जी को लोकसभा अध्यक्ष बनाने के लिए प्रधानमंत्री मोदीजी और भाजपा के नेतृत्व का बहुत बहुत धन्यवाद ! माहेश्वरी समाज को मिले इस गौरवपूर्ण उपलब्धि पर समस्त समाजजनों को हार्दिक बधाई और अभिनन्दन !!!

- द्वारा -
योगी प्रेमसुखानन्द माहेश्वरी (पीठाधिपति, माहेश्वरी अखाड़ा)
एवं समस्त माहेश्वरी समाज


Congratulations, Om Birla elected as 17th Lok Sabha Speaker of India

Bharatiya Janata Party (BJP) MP Om Birla was unanimously elected as the Speaker of the 17th Lok Sabha. Om Birla, two-time MP from Rajasthan's Kota, was elected after Prime Minister Narendra Modi proposed his name on Day 3 of Lok Sabha session. Lok Sabha Speaker is the presiding officer of the Lok Sabha (House of the People) of India.


I offer my greeting to all the Maheshwaris on the holy occasion of Mahesh Navami.


मैं महेश नवमी के पावन अवसर पर सभी माहेश्वरीयों को अपनी शुभकामनाएँ देता हूँ।




Tribute to Maharana Pratap on his birth anniversary


महाराणा प्रताप जी की जन्मजयंती पर उनकी पावन स्मृति को शत शत नमन !
Tribute to Maharana Pratap on behalf of all the Maheshwari community on his birth anniversary.

-Yogi Premsukhanand Maheshwari
(Peethadhipati, Maheshwari Akhada)

Congratulations to Hon'ble Modi Ji on being once again PM of India


Congratulations to Hon'ble Narendra Modi Ji on behalf of all the Maheshwari community on being once again Prime Minister of India.

आम चुनाव-2019 में जीतकर फिर एकबार संसद में पहुंचने पर बहेड़िया और बिर्ला का हार्दिक अभिनन्दन !


माहेश्वरी समाज के गौरव श्री सुभाषजी बहेड़िया (भीलवाड़ा, राजस्थान) और श्री ओमजी बिर्ला (कोटा-बूंदी, राजस्थान), 2019 के आम चुनाव में जीतकर फिर एकबार संसद में पहुंचने पर माहेश्वरी अखाडा एवं समस्त माहेश्वरी समाज की ओरसे आपका हार्दिक अभिनन्दन... बहुत बहुत बधाई !

हमें आशा ही नहीं बल्कि पूर्ण विश्वास है की आप अपने कामकाज से देश और समाज की सर्वोपरि सेवा करेंगे और समाज का नाम रोशन करेंगे; इसी विश्वास के साथ आपको आपके इस संसदीय कार्यकाल के लिए अनेकानेक शुभकामनाएं ! भगवान महेशजी और आदिशक्ति माता पार्वती की कृपा आप पर सदैव बनी रहे... जय महेश !


- शुभेच्छुक -
योगी प्रेमसुखानन्द माहेश्वरी
(पीठाधिपति, माहेश्वरी अखाड़ा)

What is Mahesh Navami and Why Celebrate it?


महेश नवमी क्या है और इसे क्यों मनाते हैं?

प्रतिवर्ष, ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की नवमी को "महेश नवमी" का उत्सव मनाया जाता है. "महेश नवमी" यह माहेश्वरी वंशोत्पत्ति दिवस है अर्थात इसी दिन माहेश्वरी समाज की वंशोत्पत्ति (माहेश्वरी समाज की उत्पत्ति) हुई थी. इसीलिए इस दिन को माहेश्वरी समाज के स्थापना दिवस के रूप में मनाया जाता है.

मान्यता है कि, भगवान महेश और आदिशक्ति माता पार्वति ने ऋषियों के शाप के कारन पत्थरवत् बने हुए 72 क्षत्रिय उमराओं को युधिष्ठिर संवत 9 ज्येष्ठ शुक्ल नवमी के दिन शापमुक्त किया और नया जीवन देते हुए कहा की, "आज से तुम्हारे वंशपर (धर्मपर) हमारी छाप रहेगी, तुम “माहेश्वरी’’ कहलाओगे". भगवान महेशजी के आशीर्वाद से नया जीवन और "माहेश्वरी" नाम प्राप्त होने के कारन तभी से माहेश्वरी समाज ज्येष्ठ शुक्ल नवमी को "महेश नवमी" के नाम से 'माहेश्वरी वंशोत्पत्ति दिवस (माहेश्वरी समाज स्थापना दिवस)' के रूप में मनाता है. भगवान महेश और देवी महेश्वरी (माता पार्वती) की कृपा से माहेश्वरी समाज की उत्पत्ति हुई इसलिए भगवान महेश और देवी महेश्वरी को माहेश्वरी समाज के संस्थापक मानकर माहेश्वरी समाज में यह दिन 'महेश नवमी' के नामसे बहुत ही भव्य रूप में और बड़ी ही धूम-धाम से मनाया जाता है. महेश नवमी का पर्व मुख्य रूप से भगवान महेश (महादेव) और माता पार्वती की आराधना को समर्पित है, उनके द्वारा बताये गए जीवनमार्ग एवं सिद्धांतों पर जीवन जीने के संकल्प के प्रति समर्पित है.

ईसापूर्व 3133 में माहेश्वरी समाज की स्थापना के साथ ही माहेश्वरी समाज को मार्गदर्शित करने के लिए भगवान महेशजी ने माहेश्वरी समाज को "गुरु" प्रदान किये, समाजगुरु बनाये. इन गुरुओं ने माहेश्वरी समाज के लिए कुछ व्यवस्थाएं और कुछ नियम भी बनाए थे. हरएक माहेश्वरी का कर्तव्य है, अनिवार्य दायित्व है कि वो गुरु के बनाए व्यवस्था व नियमों का पालन करे, महेश नवमी का दिन है इस बात के दृढ़संकल्प को दोहराने का ! महेश नवमी का दिन है माहेश्वरी समाज द्वारा अपने समाज के पालक-संरक्षक भगवान महेशजी के प्रति विशेष आभार प्रकट करने का ! भगवान महेशजी, आदिशक्ति माता पार्वती और गुरुओं द्वारा दिखाए-बताये मार्ग पर चलते रहने के प्रति प्रतिबद्धता प्रकट करने का ! अपने आचार-विचार से सम्पूर्ण विश्व के मानव जाती के सामने एक सही जीवनपद्धति सादर करने के जिस महान उद्देश्य से भगवान महेशजी ने माहेश्वरी वंश का, माहेश्वरी समाज का निर्माण किया उस उद्देश्य की पूर्ति में लगे रहने का, समर्पित रहने का !

Mahesh Navami Logo colour PNG

Mahesh Navami is a Maheshwari festival which is celebrated as a celebration of the origin of the Maheshwari community. As per traditional Indian calendar, the Mahesh Navami is observed on the ninth day of the Shukla Paksha in the month of Jyeshta.

The festival of Mahesh Navami is dedicated primarily to the worship of Lord Mahesh (Mahadev) and Mata Parvati, dedicated to the determination of living life on the paths and principles given by them.

Mahesh Navami Logo PNG

Mahesh Navami Logo

देखें link > Traditional picture (image) of Mahesh Navami festival (माहेश्वरी वंशोत्पत्ति दिवस का पारम्परिक चित्र)


देखें link > Maheshwari - Origin and brief History (माहेश्वरी समाज की उत्पत्ति एवं इतिहास)


देखें link > माहेश्वरी समाज की उत्पत्ति के बाद से अबतक का संक्षिप्त इतिहास


देखें link > Brief introduction to Maheshwari community (माहेश्वरी समाज का संक्षिप्त परिचय)


देखें link > जैसे राजपूत माने शेर (Loin), सिख माने बाघ (Tiger), वैसे ही माहेश्वरी माने "हाथी" (Elephant)


देखें link > Maheshwari is Not a Name it is a Brand

Identity of the Maheshwaris

देखें link > आज से कितने वर्ष पूर्व हुई है माहेश्वरी समाज की स्थापना? जिसे माहेश्वरी वंशोत्पत्ति कहा जाता है।


देखें link > माहेश्वरीयों के विवाह की विधियों का सीधा सम्बन्ध जुड़ा हुवा है महेश नवमी से



देखें link > Divy Dhwaja, Maheshwari Flag (माहेश्वरी निशान "दिव्यध्वज")



देखें link > क्या है माहेश्वरी अखाड़ा? जानिए माहेश्वरी अखाड़े के बारेमें...


देखें link > माहेश्वरीयों के जीवनपद्धति का आधार है माहेश्वरी वंशोत्पत्ति के समय बने मूल सिद्धांत


देखें link > Maheshwari theme Profile Pics, DP Images for Facebook & WhatsApp